Monday, February 6, 2017

पत्रिका में पांच साल

आज की एेसी ही शाम करीब ७ बजे राजस्थान पत्रिका को पांच साल पहले मैनें ज्वाइन किया था.हालांकि आधिकारिक रूप में ७ फरवरी को ज्वाइनिंग हुर्इ लेकिन झालाना कार्यालय में ६ फरवरी को ही पहुंच गया था. तत्कालीन संपादक श्री मनोज माथुर ने मुझे ब्यूरो चीफ राकेश शर्मा जी के नेतृत्व में काम करने के आदेश दिया. धर्म, पर्यटन, कृषि से शुरू हुआ सिलसिला रेलवे, एयरपोर्ट, मौसम, परिवहन, रोडवेज, एसीबी, सीबीआर्इ, फाइनेंस, डीआरआर्इ, र्इडी के रास्ते पर निकल पडा.
यहीं मुलाकात हुर्इ श्री अशोक शर्मा जी से आैर संपादक आशुतोष जी से. अशोक जी ने खबरों की बारीकियां इतनी सिखार्इं कि एक माह में ३७ एक्सक्लूसिव खबर आैर फिर एक ही दिन तीन बार्इलाइन तक मिली.आशुतोष जी ने खबर के हर पहलु को लाने के लिए टकराने की ताकत दी.हर खबर पर हमेशा नजर मारने का मौका मिला.
यहीं आगरा से आए श्यामवीर के साथ मिलकर हमने खबर ब्रेक की थी कि युवा देश से आतंकी बनने जा रहे हैं. कुछ कारणों से छप नहीं पार्इ लेकिन इंडियन एक्सप्रेस ने जब तीन महीने बार खबर मुंबर्इ से ब्रेक की तो बहुत खुशी हुर्इ देख कि खबर हमारे पास जयपुर में भी थी.
तत्कालीन डेस्क हेड राजीव जैन जी की बात किए बिना बता अधूरी है.फोन पर खबर आैर किसी भी अंतिम समय पर खबर देने के बाद भी खबर का टीरटमेंट दे देना, एेसा व्यक्ति अब तक नहीं देखा, यही वजह रही कि खबरों की धुंआधर बैटिंग हुर्इ. हमारे लिए यह तिकडी तबाडतोड खबरें लिखने का मौका लेकर आर्इ; बाद में क्राइम कल्स्टर हेड फिर आशुतोष जी के सन्निध्य में स्टेट ब्यूरो, भोपाल स्टेट ब्यूरो फिर लौट कर साफ सीधी बात वाले शख्सदौलत सिंह चौहान जी के साथ भी काम करने का मौका मिला. २०१६ में मेरे जीवन की सबसे बडी बात हुर्इ सुरेश व्यास सर ने मुझे सैन्य बलों की खबरों को लिखना सिखाया, रात में बैठाकर इसकी पढार्इ करार्इ. संस्थान ने इस दौरान मुझे सैन्य बलों की एक माह का प्रशिक्षण लेने का भी अवसर दिया.
इन पांच सालों के दौरान अधीर हो जाने पर कर्इ वरिष्ठजन ने मुझे बल दिया.जैन सर, तिवारी सर, पाराशर सर, मलिक सर, गांधी सर, संदीप सर सहित कर्इ एेसी शख्सियत हैं.

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी फिर एक चप्पल चली। रोज ही कहीं ना कहीं यह पदत्राण थलचर हाथों में आ कर नभचर बन अपने गंत्वय की ओर जाने क...