Monday, April 4, 2016

कोलकाता है इंडिया का पनामा


जिस तरह के खेल का खुलासा आज इंडियन एक्सप्रेस में किया गया है वह कोलकाता में बसे मारवाडी बहुत पुराने समय से कर रहे हैं. इतना ही नहीं एक ही कमरें में अलग अलग दरवाजे लगाकर चार बैंको से लोन ले लेते हैं गजब बात तो यह है कि हर बैंक वाला इसे जानता है विधानसभा से सटी एक इमारत है जिसे मैं खुद जानता हूं. कोलकाता आैर पनामा में अंतर सिर्फ इतना है कि पनामा में नामी लोगों की संपत्ति है आैर कोलकाता में बेनामी लोग हैं
बाकी देखते है। कि कितने लोग इस हमाम में नंगे होते हैं

बिन पैसे का पहला अस्पताल-दरभंगा महाराज

 अफगानी आते थे इलाज कराने

 भारत में बिना पैसे का इलाज सबसे पहले दरभंगा में शुरु हुआ। उस वक्‍त अफगान से लोग यहां इलाज कराने आते हैं। एक पैसे का खर्च नहीं था। 200 बेड का यह अस्‍पताल बिहार का सबसे पुराना अस्‍पताल है..आज जिंदा है, पर शर्मिदा है..क्‍योंकि यह अस्‍पताल जगन्‍नाथियों का इलाज नहीं कर पाया...। जब भी कभी बिना पैसे का इलाज का जिक्र होगा, इस अस्‍पताल का नाम लिये बिना बात अधुरी रहेगी।


1886 में स्‍थापित यह अस्‍पताल न केवल बिहार का सबसे पुराना अस्‍पताल, बल्कि 19वीं शताब्‍दी में यह बंगाल का दूसरा सबसे बडा अस्‍पताल था। बेशक आज यह ईलाज के अभाव में जिंदगी और मौत से लड रहा है, गुमनामी की जिंदगी झेल रहा है, लेकिन अपने समृद्ध इतिहास के साथ यह अस्‍पताल आज भी जिंदा है। इस अस्पताल के पास 12 बीघा का कंपाउंड है। जिसमे 200 बेड की क्षमता का हॉस्पिटल। बिहार का सबसे पुराना ओटी तथा 6 डॉक्टरों के लिए आवास भी हैं। सबसे बडी बात है कि करोड़ों रुपये होने के बावजूद यह अस्‍पताल आज इलाज के अभाव में मर रहा है।

निर्माण का इतिहास
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बिहार के इस सबसे पुराने अस्पताल का निर्माण तिरहुत सरकार महाराजाधिराज लक्ष्मेश्वर सिंह ने वर्ष 1878 में कराया। महाराजा लक्ष्मेेश्वर सिंह ने अंग्रेजी शिक्षा के साथ साथ अंग्रेजी चिकित्सां को बढावा देने के लिए दरभंगा में राज स्कूल और लेडी डेफरीन अस्पताल खोलने का फैसला लिया। उस दौरान बंगाल का यह दूसरा सबसे चर्चित अस्पताल था। कलकत्ता के बाद अंग्रेजी चिकित्सा का यह इकलौता केंद्र ही नहीं, बल्कि देश के कई चर्चित डाक्टर यहां मरीजों का इलाज करते थे। करीब दो सौ बेड वाले इस अस्पताल में गरीबों के लिए नि:शुल्क ईलाज की व्‍यवस्था थी। सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क इलाज और दवाई देने की परिकल्पना हिंदुस्तान में इसी अस्प‍ताल से शुरु हुई। उत्तर भारत में अंग्रेजी चिकित्सा के लिए दरभंगा को एक महत्व पूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित करनेवाले महाराजा लक्ष्मे्श्वर सिंह की इस परिकल्पना को 1934 के भूकंप ने तहस-नहस कर दिया। अस्पताल का भवन क्षतिग्रस्त हो गया और कई महत्वपूर्ण उपकरण नष्ट हो गये। तत्कालीन तिरहुत सरकार महाराजा कामेश्वर सिंह ने क्षतिग्रस्त भवन की मरम्मत के बाद इसे लेडी बेल्डिंगटन हॉस्पीटल के नाम से नवनिर्मित किया। बिहार में सबसे पहले ऑपरेशन थियेटर यही स्थापित हुआ। 40 के दशक में देश में ऐसा कोई चिकित्सी्य मशीन नहीं था, जो यहां उपलब्ध नहीं था। यह एक दुखद संयोग ही कहा जाये कि जिसदिन इस अस्पंताल की सबसे अधिक जरुरत महाराजा कामेश्वरर सिंह को हुई, उस दिन सबकुछ धरा का धरा रह गया और महरानीअधिरानी प्रिया की अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में असमय मौत हो गयी। 1962 में अपनी मौत से पूर्व किये बिल में कामेश्वर सिंह ने इस अस्पाताल को अपनी एक तिहाई संपत्ति के साथ जनता को सूपुर्द कर दिया और एक न्यास बनाकर उसे इसके संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी। अरबों रुपये और ठोस आधारभूत संरचना से सुसज्जित महाराजा कामेश्‍वर सिंह चैरिटेबुल अस्पताल को कामेश्वीर सिंह के अन्य दान की तरह न्यास ने जमकर लूटा और आज इस अस्पताल के अधिकतर हिस्सों पर अबैध कब्जा् है। खानापूर्ति के लिए कुछ बूढे चिकित्सकों को रखा गया है और दो चार गरीबों का ईलाज कर लाखों रुपये का खर्च दिखाया जा रहा है।
सभी हैं उदासीन
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ऐसा नहीं है कि इस घोटाले के संबंध में लोगों को जानकारी नहीं है। बिहार विधान परिषद से लेकर पटना हाइकोर्ट तक इस मामले से परिचित है, इसके बावजूद इस अस्पिताल को लेकर कोई गंभीर नहीं है। जनता की सेवा करने के बजाय यह अस्पैताल आज लूट का स्रोत बन गया है। न्या सी पूर्णत: अपने दायित्वध के निर्वाह में विफल रहे हैं। सरकार जनता के हित में अगर न्यालस को पूनर्गठन नहीं करती है तो यह अस्पगताल कब तक अपने वजूद को बचा पायेगा, यह कहना कठिन है। वैसे सरकार की गंभीरता आप इन दो दस्ताहवेजों से समझ सकते हैं, जिनमें से एक वर्षों पहले विधान परिषद में उठाया गया सवाल है, जिसपर सरकार ने अब तक एक कदम नहीं बढाया है, जबकि दूसरा दस्ताेवेज हाइकोर्ट के ध्याानाकर्षण का है, जिसपर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
Maharaja Kameshwar Singh Charitable Trust.
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डा. नीलाम्बर चौधरी : महोदय , माननीय मंत्री महोदय से मैं यह जानना चाहता हूँ की ६२ के बाद अभी तक चैरिटी ट्रस्ट में कितना पैसा जमा हुए और उसमे क्या काम हुआ ? मैं ये जानना चाहता हूँ l
श्री रमई राम (मंत्री ): हुजुर , इनके प्रस्ताव में इसकी चर्चा नहीं थी कि ६२ के बाद क्या हुआ , इसके लिए समूचा रिकॉर्ड देखना होगा ... कितनी सम्पति ..
सभापति : मूल प्रश्न जो जानना चाहते हैं माननीय सदस्य कि ...
श्री रमई राम (मंत्री ): मूल प्रश्न अभी ...
डा. महाचंद्र प्रसाद सिंह : पब्लिक चैरिटी पर अभी तक जो खर्च हुआ है और महोदय .. सारा पैसे का दुरूपयोग किया जा रहा है l सीधा प्रश्न है l
श्री रमई राम ( मंत्री ): महोदय , आपसे आग्रह करेंगें कि यह लम्बा मामला है , इसके लिए समय चाहिए l माननीय सदस्य , जिससे कहेंगें , जाँच करायेंगें और जाँच करा कर प्रतिवेदन ...
डा . महाचन्द्र प्रसाद सिंह : ये राज्यहित में है , आपके हित में है l हमसब अनुभव कर रहे है कि इसका मिसयूज काफी हुआ है l
श्री रमई राम (मंत्री ): नहीं ,हम आपसे आग्रह करते हैं महाचंद्र बाबू , चौधरी जी से भी आग्रह करते हैं की इनसे कहिए, इसकी जाँच कराके प्रतिवेदन माननीय सभापति महोदय को सुपुर्द कर दें l
आवाजें : कब तक ?
श्री रमई राम (मंत्री ) : जब कहेंगे , तब l
श्री रामकृपाल यादव : महोदय ,
श्री भोला प्रसाद सिंह : हमलोग तो आजकल कहते हैं l लेकिन दरभंगा महाराज की सम्पतियों का मामला जो है , ट्रस्ट का मामला है , केवल दरभंगा महाराज तक सीमित नहीं है , यह बिहार की प्रतिष्ठा , ख्याति का सम्बन्ध है l अगर उसके ट्रस्ट में ,उसकी जमीन पर यूनिवर्सिटी बनी , उसकी जमीन पर और उसकी जायदाद का जो दुरूपयोग हो रहा है , तो हर बिहारी से यह कंसर्न है l आप इसकी जाँच इनके अधिकारियों से करायेंगे या कोई एजेंसी से करायेंगे , लेकिन जाँच करा लीजिए, क्योंकि हमलोग भी सुनते हैं कि दरभंगा महाराज के पैसों का , उनकी जमींदारी की जमीन है जिसमे म्यूजियम बनवाया और भी चीज बनवाया , यूनिवर्सिटी बनवाया , काफी उसकी लूट हो रही है l इंडियन नेशन , आर्यावर्त की लूट हो रही है तो इसके लिए जरुरी है कि सम्पूर्ण ट्रस्ट की जाँच हो जय और आप यदि समझिए तो सदन की समिति से जाँच करा लीजिए l
श्री रामकृपाल यादव : मेरा भी सप्लिमेंटरी का अधिकार है l
सभापति : हाँ , बोला जाएl l
श्री रामकृपाल यादव : महोदय , ऐसा लगता है कि जो मूल प्रश्न है , सर , ध्यानाकर्षण के माध्यम से , उसका खुद ही संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए हैं , वे खुद ही एहसास कर रहे हैं l चूँकि यह राज्यहित का मामला है और किसी खास व्यक्ति का मामला नहीं है , राज्यहित का मामला है , करोड़ों – करोड़ की प्रॉपर्टी का मामला है और उसका दुरूपयोग हो रहा है , इससे राज्य का अहित हो रहा है , इसिलिय हम चाहेंगे कि माननीय मंत्री जी , चूँकि सब सदस्यों ने चिंता जाहिर की है कि इन तमाम मामलों के जो आरोप हैं , उसकी तह में जाने की जरुरत है l इन तमाम मामलों की जाँच कराने की आवश्यकता है l हम निवेदन करना चाहेंगें माननीय मंत्री से , चूँकि उन्होंने कहा है कि मुझे कोई आपत्ति नहीं है , हम जाँच के लिए तैयार हैं , तो हम जानना चाहेंगें माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से कि क्यों नहीं सदन की कमिटी आप बना देते ? तमाम तथ्यों की जानकारी आ जाएगी और दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा l एक कमिटी बना दीजिए सदन की और स्वयं तैयार भी हैं माननीय मंत्री जी और मैं बिलकुल सत्य भावना से यह बात रख रहा हूँ l
श्री रमई राम ( मंत्री ) : हुजूर , मैं अपने जवाब में कह सकता हूँ कि जिला समाहर्ता , दरभंगा के प्रतिवेदनानुसार हमने जवाब दिया है , यह स्पष्ट हम कहते हैं l
( व्यवधान )
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माननीय सदस्य श्री भोला प्रसाद सिंह ने कभी सदन में कहा था कि दरभंगा महाराज की सम्पतियों का मामला जो है ,ट्रस्ट का मामला है , केवल दरभंगा महाराज तक सिमित नहीं है ,यह बिहार की प्रतिष्ठा , ख्याति का सम्बन्ध है . अगर उसके ट्रस्ट में ,उसकी जमीन पर यूनिवर्सिटी बनी ,उसकी जमीन पर और उसकी जायदाद का जो दुरूपयोग हो रहा है , तो हर बिहारी से यह कंसर्न है .
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माननीय सदस्य श्री शकील अहमद खान ,एवं अन्य माननीय सदस्यों द्वारा दरभंगा महाराज की मृत्यु के पश्चात् गठित ट्रस्ट द्वारा अनियमितता बरते जाने के सम्बन्ध में सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए श्री शकील अहमद खान ने १९९९ में विधान परिषद् में कहा कि माननीय सभापति महोदय , दरभंगा महाराज की मृत्यु १ अक्टूबर १९६२ में हो गयी . उन्होंने मरने के पूर्व एक WILL किया था . जिसके अनुसार उनकी सारी सम्पति की एक तिहाए से होनेवाली आमदनी को पब्लिक चैरिटी पर खर्च होना है . जिसके लिए एक ट्रस्ट की स्थापना की गयी . उक्त ट्रस्ट द्वारा स्व . महाराज की इच्छा के विपरीत पब्लिक चैरिटी के लिए सम्पति कौड़ी के मोल बेचीं जा रही है और उसका उपयोग पब्लिक चैरिटी के अतिरिक्त अन्य कार्यों में किया जा रहा है ,जो विल के विरुद्ध है .
कैसे चल रहा ट्रस्टा, कौन हैं ट्रस्टी
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आज हम बडी आसानी से आरोप लगा देते हैं कि महाराजा ने दरभंगा के लिए कुछ नहीं किया, लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि हमने उन संस्‍थाओं को भी बचाने का प्रयास नहीं किया, जिसे बचाने के लिए नहीं बल्कि महाराजा ने हमें उसे चलाने के लिए भी सौंपा था। ... जारी...

Sunday, April 3, 2016

ये है जलवा जलाल

घंटे भर में सस्पेंड हुए कदमकुआं के थानेदार-ज्ञानेश्वर
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आपको मैंने कल ही बताया था कि पटना के थानेदार किस कदर बहक गए हैं। आम आदमी का तो सुनते ही नहीं हैं कई थानेदार। मसला आज फिर से फंस गया। क्लिक कर सुनिएगा पूरा आडियो। दरअसल, कदमकुआं थाने से परेशान मुकेश ने सुबह अपनी पीड़ा हमें बताई। असम की रहने वाली मुकेश के घर की मेड दो - तीन दिनों पहले भाग गईं थी। अपना सामान छोड़ घर का कुछ सामान ले गई थी। थाने में रिपोर्ट लिखानी थी। कोई वहां सुनने को तैयार नहीं था।
मुकेश की पीड़ा जानने के बाद आज हमने दोपहर में एसएसपी से बात करने की कोशिश की, लेकिन संभव नहीं हो पाया। फिर हमने थानेदार से ही बात करने में कोई बुराई नहीं समझी। लेकिन हमें इसकी जानकारी थी कि कदमकुआं के थानेदार सुधीर कुमार बातचीत में ठीक से पेश नहीं आते। सो, होशियारी बरतते हुए मैंने कॉल की रिकार्डिंग की। जैसा अंदेशा था, वैसा ही हुआ। इतनी बदतमीजी तो उम्मीद से परे थी। थानेदार ने कहा - वे 22 वर्षों से पटना के थानों में हैं। मैंने कहा - अरे भाई, 26 वर्षों से हमने भी पटना में क्राइम रिपोर्टिंग की है। लेकिन ये बहके थानेदार मानने वाले कहां थे।
बातचीत के बाद मैंने आॅडियो को वाट्सएप पर वायरल किया। पटना के सभी क्राइम रिपोर्टर भी समर्थन में आगे आए। परिणाम, घंटे भर के भीतर थानेदार को सस्पेंड किया पटना के एसएसपी मनु महाराज ने। उन्होंने कहा - ऐसे लोग बर्दाश्त नहीं किए जा सकते।
बिहार पुलिस की तस्वीर पर क्लिक कर सुनें थानेदार की बदतमीजी को।

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी फिर एक चप्पल चली। रोज ही कहीं ना कहीं यह पदत्राण थलचर हाथों में आ कर नभचर बन अपने गंत्वय की ओर जाने क...