Thursday, August 31, 2017

जब चीन हुआ हादसा तो हुआ रेल मंत्रालय हुआ भंग, मंत्री गया जेल

चीन में 2011 में हुए हादसे में कम से कम 35 लोगों की मौत हो गई थी.
चीन के जिझियांग में 24 जुलाई, 2011 को एक रेल हादसा हुआ था. इसमें दो हाई स्पीड ट्रेनें एक ही पटरी पर आ गई थीं. हादसे में 35 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. इस हादसे को चीन के सबसे बड़े हादसों में से एक करार दिया जाता है. हादसे के तुरंत बाद ही रेल मंत्री शेंग गुआंझू मौके पर पहुंच गए. उन्होंने इस हादसे के लिए माफी मांगी और जांच के आदेश जारी कर दिए. चीन के उपप्रधानमंत्री झांग डेजियांग भी तत्काल मौके पर पहुंचे और राहत-बचाव कार्य की देखभाल करने लगे. इसके तत्काल बाद रेलवे की ओर से बताया गया कि रेल विभाग के तीन बड़े अधिकारियों को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया. इनमें शंघाई रेलवे ब्यूरो के प्रमुख, उप प्रमुख और पार्टी महासचिव शामिल थे. हादसे के बाद रेल मंत्रालय की ओर से 2 महीने के लिए सेफ्टी कैंपेन भी चलाया गया. हादसे की जांच के दौरान पता चला था कि हादसा सिग्नल फेल होने की वजह से हुआ था. इसके बाद 2013 में रेल मंत्रालय को भंग कर दिया गया. चीन ने हादसे के बाद ट्रेन की रफ्तार को 350 किलोमीटर प्रति घंटा से घटाकर 250 से 300 किलोमीटर प्रति घंटा पर ला दिया. इतना ही नहीं रेलवे के किराए में भी पांच फीसदी की कमी कर दी गई.
चीन के पूर्व रेल मंत्री लियू झीजून जो अब भी जेल में हैं.
चीन में फरवरी 2011 तक रेल मंत्री थे लियू झीजून. हाई-स्पीड रेल नेटवर्क के विस्तार के लिए 800 मिलियन युआन घूस लेने का आरोप लगा, जिसके बाद चीन की सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. चीन के डिप्टी चीफ इंजीनियर झांस शुजुआंग को भी फरवरी 2011 में ही गिरफ्तार कर लिया गया. 8 मई, 2013 को चीन की एक अदालत ने घूस लेने और अपने पद का दुरुपयोग करने के आरोप में फांसी की सजा सुना दी. हालांकि दिसंबर 2015 में कोर्ट ने लियू की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था.अब यहां भी वक्त आ गया है कि रेल हादसों की जिम्मेदारी तय की जाए. हम चीन जैसी सख्ती दिखाने की बात नहीं कर रहे, लेकिन कम से कम ऐसे इंतजाम तो हो ही जाएं कि कुछ खास वजहों से हो रहे रेल हादसों पर रोक लगाई जा सके.

Wednesday, August 30, 2017

यश भारती पुरस्कार के चाटुकार और लंपट पत्रकार


यश भारती पुरस्कार के चाटुकार और लंपट पत्रकार
शिखा पाण्डे- दूरदर्शन की एक्सटर्नल कोऑर्डिनेटर। 2016 में उनके नाम की अनुशंसा लखनऊ के तत्कालीन एडीएम जय शंकर दुबे ने की थी। पाण्डेय की सीवी में लिखा है कि उन्होंने चार साल तक मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम का आयोजन किया जिसकी प्रशंसा सीएम ने भी की।
नोट—पांडे जी आप ने कमाल की कर दिया, वैसे कई पांडे देखा चुका हूं लेकिन सब आप से तरे तरे हैं, मुख्यमंत्री आवास पर कार्यक्रम के लिए तो नहीं लेकिन लगता है बच्चों को खिलाने लिए पुरस्कार मिला है
अशोक निगम- 2013 में यश भारत पाने वाले निगम ने सीवी में लिखा है, “संप्रति समाजवादी पार्टी की पत्रिका समाजवादी बुलेटिन का कार्यकारी संपादक।” निगम ने खुद को समाजवादी विचारधारा का लेखक बताया था।
नोट—इनसे मिलिए समाजवादी विचारधारा के ये दल्ले दामाद हैं ये
हेमंत शर्मा- हाल ही में इंडिया टीवी से इस्तीफा देने वाले पत्रकार। उनकी सीवी में लिखा है, “पहले लेखन को गुजर बसर का सहारा माना, अब जीवन जीने का।” शर्मा की सीवी में दावा किया गया है कि वो 1989, 2001 और 2013 का महाकुम्भ कवर करने वाले एकलौते पत्रकार हैं।
नोट—इतना बडा फर्जी आदमी कि 2013 में ये अकेला पैदा हुआ था कुंभ में ये, सुना है इसके साथ जयपुर में भी कुछ छेडछाड हुई थी दारू को लेकर
अब मिलिए नवाबजादे से हूकुमत चली गई लेकिन अभी भी नशे में 
नवाब जफर मीर अब्दुल्लाह- नवाब को खेल वर्ग में यश भारती मिला। वो अवध रियासत के वजीर रहे नवाब अहमद अली खान के वंशज हैं। उनकी सीवी में लिखा है कि वो “कारोबारी” हैं और उनका आवास “लखनऊ और पूरा भारत” है।
समाजवादी नचनिए को भी मिला यश भारती, फिर तो सलमान के बैक डांसर को भी मिलना चाहिए था
काशीनाथ यादव- समाजवादी पार्टी के सांस्कृतिक सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष। उन्होंने 27 अप्रैल 2016 को पार्टी के लेटरहेड पर अपनी सीवी भेजी। उनकी सीवी में लिखा है कि उन्होंने कई सांस्कृतिक कार्यक्रम किए, गीत गाए और समाजवादी पार्टी की योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया। काशीनाथ यादव ने ये भी लिखा कि उन्होंने 1997 में सैफई महोत्सव में भोजपुरी लोकगीत गाया था।
बढिया लौंडा पैदा किया नेता जी ने
मणिन्द्र कुमार मिश्रा- सपा नेता मुरलीधर मिश्रा के बेटे। आईआईएमसी से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले मिश्रा ने अपने सीवी में लिखा है कि उन्होंने साल 2010 में मेघालय के खासी जनजाति के बीच रहकर दो महीने तक फील्डवर्क किया था। मिश्रा ने अखिलेश यादव पर “समाजवादी मॉडल के युवा ध्वजवाहक” नामक किताब भी लिखी है।
जिसकी मनोदशा ही ठीक नहीं उसे मनोविज्ञान में यशभारती
ओमा उपाध्याय- साल 2016 में यश भारती पाने वाले उपाध्याय ने अपनी सीवी में लिखा है कि उन्होंने 2010 में ज्योतिष और मनोविज्ञान आधारित विशेष वस्त्र बनाने की युगांतकारी तकनीकी विकसित की थी।
लो ये भी हैं इन्हें छम्मा छम्मा के लिए मिला यश भारती 
अर्चना सतीश- अर्चना सतीश के नाम को 27 अक्टूबर 2016 को यश भारती पुरस्कार समारोह में ही मंच पर अखिलेश यादव ने मंजूरी दे दी। अर्चना सतीश कार्यक्रम का संचालन कर रही थीं। उनकी सीवी में लिखा है, “प्रतिष्ठित सैफई महोत्सव का पिछले तीन सालों से संचालन”,  और ” 4-5 जनवरी 2016 को आगरा में यूपी सरकार के अतिप्रतिष्ठित एनआरआई दिवस कार्यक्रम का संचालन”
अब बंट ही रहा है प्रसाद तो थोडा हम ले लें तो क्या हरज
सुरभी रंजन- उस समय यूपी के मुख्य सचिव आलोक रंजन की पत्नी। उन्हें एक प्रतिष्ठित गायिका बताया गया है।
कांग्रेजी बिटिया होना का कुछ तो फायदा होना ही चाहिए न
शिवानी मतानहेलिया– दिवंगत कांग्रेसी नेता जगदीश मतानहेलिया की बेटी। शिवानी प्रतापगढ़ के एक कॉलेज में संगीत पढ़ाती हैं।

...जो लौटकर सत्ता में न आए,

राजनीति में पैराशूट नेता तो आपने बहुत देखे होंगे लेकिन पैराशूट मुख्यमंत्री भी कई पाए गए हैं, यहां पैराशूट का पर्याय बदल रहा है और इसे अब उच्च सदन का नाम दिया जा रहा है, देखने में यह आया है कि जो नेता उच्च सदन से मुख्यमंत्री बना है वह दुबारा मुख्यमंत्री नहीं बना है, इसकी बानगी देखिए ...ऐसे में योगी का योग कुछ ठीक नहीं लग रहा है
उत्तर प्रदेश में उच्च सदन से मुख्यमंत्री बनने वाले दोबारा सत्ता में नहीं लौटे। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे लंबा कार्यकाल सम्पूर्णानंद का और दूसरे नंबर अखिलेश यादव का रहा। उच्च सदन से मुख्यमंत्री बनने के बाद दुबारा सत्ता में न आने का रिकार्ड मायावती 2007, अखिलेश यादव 2012 के नाम है। अब आदित्य योगी नाथ भी विधान परिषद के सदस्य बनेंगे। 
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे लंबा कार्यकाल सम्पूर्णानंद जी का रहा। जो वाराणसी दक्षिण से विधायक हुआ करते थे। 5 वर्ष, 344 दिन तक मुख्यमंत्री रहे। दूसरे नंबर पर अखिलेश यादव 5 वर्ष, 108 दिन तीसरे नंबर पर मायावती 4 वर्ष, 360 दिन, चौथे नंबर पर पहले मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत 4 वर्ष, 335 दिन जो बरेली नगरपालिका से चुनाव जीते थे। सबसे छोटा कार्यकाल चन्द्रभानु गुप्ता का रहा जो 19 दिन तक मुख्यमंत्री रहे।
चौधरी चरण सिंह 328 दिन, त्रिभुवन नारायण सिंह 167 दिन, कमलापति त्रिपाठी 2 वर्ष, 69 दिन, राम नरेश यादव 1 वर्ष, 249 दिन, बनारसी दास 354 दिन, विश्वनाथ प्रताप सिंह 2 वर्ष, 39 दिन, श्रीपति मिश्र 2 वर्ष, 14 दिन, मुलायम सिंह यादव 3 वर्ष, 257 दिन, कल्याण सिंह 2 वर्ष, 52 दिन, राजनाथ सिंह 1 वर्ष, 131 दिन, रामप्रकाश गुप्त 351 दिन उत्तर प्रदेश की बागडोर संभाली है।

Tuesday, August 29, 2017

रेलवे है या मौत होने के बाद आने वाला महापं​डित

अब कह रहा है कि हर आदमी से चाहिए 11 हजार तब होगा उदधार
वैतरणी पार लगाने के लिए जिस तरह पंडित मांगते है उसी तरह अब रेलवे का चा​हिए 
रेल मंत्रालय को अलग-अलग कामों के लिए 8,56,020 करोड़ रुपये की जरूरत है. 
सुरक्षित और मुनाफे की रेल के लिए का यह एक्शन प्लान अगले 5 साल के लिए है.
यात्री किराए से घाटा --(लगभग 34,000 करोड़ रुपये)
7वें वेतन आयोग का भार--- (30,000 करोड़ रुपये) 
प्रोजेक्ट्स के लिए-- 4.83 लाख करोड़ रुपये
पंचवर्षीय जीर्णोद्धार--- 14,03,020 करोड़ रुपये की जरूरत है.
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5 साल तक इन कामों के लिए चाहिए लाखों करोड़ 
नेटवर्क डीकंजेशन : 1,99,320 करोड़
नेटवर्क विस्तार (इलेक्ट्रिफिकेशन शामिल है): 1,93,000 करोड़
सुरक्षा के लिए (ट्रैक रिन्यूवल और ब्रिज निर्माण): 1,27,000 करोड़
लोकोमोटिव, कोच और वैगन (प्रोडक्शन और मेंटेनेंस): 1,02,000 करोड़
रेलवे स्टेशन विकसित करने और लॉजिस्टिक पार्क : 1,00,000 करोड़
हाई स्पीड रेल और एलीवेटेड कॉरिडोर : 65,000 करोड़
नॉर्थ ईस्ट और जम्मू-कश्मीर तक रेलवे कनेक्टिविटी: 39,000 करोड़
पैसेंजर सुविधा, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और अन्य : 30,700 करोड़
इन स्थितियों में आपकी जेब से कितना जाएगा
--सबसे टैक्स वसूला जाता है तो सभी 10,792 रुपये देने होंगे.
--टैक्स पेयर से वसूला जाता है तो प्रति टैक्सपेयर 2 लाख 80 हजार रुपये देय है.

Friday, August 18, 2017

एक कहानी सोनार की...

आनंद मणि समुद्री तट से
ये बात ​​​पिछले साल की ही तो है.हम 36 पत्रकार एक ऐसी यात्रा पर थे जहां हम दुबारा किसी भी सूरत में नहीं जाए सकते, एक माह के लिए एक साथ. सुबह सात बजे से ही प्रक्रिया शुरू हो गई .हम बस से यथास्थान पहुंच गए.आज के दिन हम ऐसी जगह थे.जहां हर किसी को प्रवेश नहीं मिलता,जगह का उल्लेख इसलिए नहीं क्योंकि यही करना जरूरी है. जल की जान बसती है
​​पोत का प्राण होता है 
सोने से महंगा सोनार 
पहली बार यहीं सुना हमनें 

यह वह सोनार है जिसने गाजी को चकमा देकर उसका तख्ता पलट दिया था और पाकिस्तान को अपने दूसरे युद्ध में मुंह की खानी पडी. हमने यहां देखा किस तरह से कागज पानी में डूब जाए तो भी वह गिला नहीं होता. पानी को उल्टा लटका दो फिर भी वह गिरता नहीं.पहली बार लोहार से खतरनाक सोनार देखा .सोनार इतना खतरनाक की वह अलग—अलग विमानों की ​फ्रिक्वेंसी छोड सकता है.

ऐसी कई नायाब चीजें हमने देखीं बेहद नजदीक से आप यूं भले ही लगता हो कि वैज्ञानिक कुछ नहीं कर रहे हैं लेकिन जितने सी​मित साधन में वह अपने लक्ष्य को साध रहे हैं शायद ही कोई देश होगा जो इतना बेहतर परिणाम इतने कम संसाधन में दे सके और अंत आप लोगों को लजीज व्यंजन का स्वाद याद ही होगा 
बाकी अगले अंक में 
राय देते रहिए कुछ याद दिलाते रहिए अगले तीस दिन तक हम आपको यूं ही दोबारा यात्रा कराने की को​शिश करेंगे




सरकार राज 


दादा भात और रॉयल राजेश 

कन्या ग्रुप 

खास लोगो के साथ आम 36 


जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी फिर एक चप्पल चली। रोज ही कहीं ना कहीं यह पदत्राण थलचर हाथों में आ कर नभचर बन अपने गंत्वय की ओर जाने क...