Sunday, October 4, 2015

मंगल के पानी पर...मोदी, राहुल गांधी, केजरीवाल, आेवैसी, लालू यादव, जी न्यूज, दीपक चौरसिया आैर फेसबुकिया भक्त


अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने घोषणा की कि उन्होंने मंगल ग्रह पर पानी खोज निकाला है। अब इस घटना पर हमारे देश की राजनीति में कैसी प्रतिक्रिया हुईं, जरा देखिए:
नरेन्द्र मोदी :
मितरों … 60 साल हो गए देश आजाद हुए, आज तक पानी मिला क्या? (जनता – नहीं मिला …) तो अब मंगल ग्रह पर पानी मिलने के बाद मैं आप सबसे पूछना चाहता हूँ कि …
आपको बुध पर पानी चाहिए कि नहीं चाहिए ?… (जनता – चाहिए …)
आपको शुक्र पर पानी चाहिए कि नहीं चाहिए ?… (जनता – चाहिए…)
आपको शनि पर पानी चाहिए कि नहीं चाहिए ?… (जनता – चाहिए …)
तो आपसे मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है, भाईयो और बहनो, कि इस बिहार चुनाव में मुझे अपना आशीर्वाद दीजिए और भाजपा की सरकार बनवाइए ...
राहुल गांधी :
पानी … पानी क्या होता है ? ... आज मैं आपको बताता हूँ कि पानी क्या होता है ? ... पानी, दरअसल पानी होता है … ये जो मंगल ग्रह का पानी है, वो किसानों और मजदूरों का पानी है …. गरीबों का पानी है।और ये सूटबूट की सरकार, ये मोदी सरकार, उस पानी को उद्योगपतियों को देना चाहती है ... लेकिन मैं आपको ये बताने आया हूँ कि हम ऐसा होने नहीं देंगे ...
अरविन्द केजरीवाल :
मंगल पर पानी ढूंढ़ने के लिए मैं वैज्ञानिकों को बधाई देता हूँ। लेकिन ये केंद्र की सरकार ... पानी का कंट्रोल अपने हाथों में रखना चाहती है, दिल्ली की चुनी हुई सरकार को पानी से दूर रखना चाहती है …
ओवैसी :
कोई ये न समझे कि मंगल के पानी पर सिर्फ किसी एक कौम का हक है ... ध्यान रहे कि उस पानी पर मुसलमानों का भी बराबर का हक है …
लालू यादव :
ई मंगल पे पानी, मंगल पे पानी, मंगल पे पानी का करता है रे ? धुत …! अरे ऊ तो बिहार का पानी है जो हमरे गया से जाता है … गया में जा के पुरखों को पानी देते हो कि नहीं? बोलिए? उहै पानी पहुँचता है मंगल पे … बुडबक!
ज़ी न्यूज़ :
यहाँ आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि मोदीजी इस देश के ऐसे पहले प्रधानमन्त्री बन गए हैं, जिनके कार्यकाल में मंगल पर पानी मिला है ....
दीपक चौरसिया :
इस वक्त मैं मंगल पर हूँ और जैसा कि यहाँ मैं देख पा रहा हूँ, ये दरअसल एक स्विमिंग पूल है, जो ललित मोदी का है, जो अपनी पत्नी के इलाज के लिए पेरिस हिल्टन के साथ यहाँ आए हुए हैं ...
फेसबुकिया मोदी-भक्त :
देख लो, इसे कहते हैं अच्छे दिन! मंगल ग्रह पर पानी मिला ...
तुम लोग साले दाल की महँगाई का रोना ही रोते रहना, बस!
आशीष पाठक

Saturday, October 3, 2015

वीरेन डंगवाल जी ये कविता

आतंक सरीखी बिछी हुई हर ओर बर्फ़
है हवा कठिन, हड्डी-हड्डी को ठिठुराती
आकाश उगलता अन्धकार फिर एक बार
संशय विदीर्ण आत्मा राम की अकुलाती
होगा वह समर, अभी होगा कुछ और बार
तब कहीं मेघ ये छिन्न -भिन्न हो पाएँगे
तहखानों से निकले मोटे-मोटे चूहे
जो लाशों की बदबू फैलाते घूम रहे
हैं कुतर रहे पुरखों की सारी तस्वीरें
चीं-चीं, चिक-चिक की धूम मचाते घूम रहे
पर डरो नहीं, चूहे आखिर चूहे ही हैं
जीवन की महिमा नष्ट नहीं कर पाएँगे
यह रक्तपात यह मारकाट जो मची हुई
लोगों के दिल भरमा देने का ज़रिया है
जो अड़ा हुआ है हमें डराता रस्ते पर
लपटें लेता घनघोर आग का दरिया है
सूखे चेहरे बच्चों के उनकी तरल हँसी
हम याद रखेंगे, पार उसे कर जाएँगे
मैं नहीं तसल्ली झूठ-मूठ की देता हूँ
हर सपने के पीछे सच्चाई होती है
हर दौर कभी तो ख़त्म हुआ ही करता है
हर कठिनाई कुछ राह दिखा ही देती है
आए हैं जब चलकर इतने लाख बरस
इसके आगे भी चलते ही जाएँगे
आएँगे उजले दिन ज़रूर आएँगे

बिल्डर, बर्बादी , वसुधरा आैर एक हवार्इअडृा जो कभी नहीं बनेगा

राजस्थान की वसुंधरा पर बिल्डरों का इतना आतंक है कि सरकार हर जनहित त्याग कर बिल्डरहित का बीडा उठा लिया है। जयपुर में ७४७ जंबो जेट उतारने की क्षमता वाला हवार्इअडृडा पहले से ही है लेकिन बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए जेडीए ने एक आैर घोषणा कर दी कि शिवदासपुरा में एक आैर हवार्इ अडडा बनाने की घोषणा कर दी। हवार्इक्षेत्र से जुडे पायलट आैर विशेषज्ञ विपुल सक्सेना बताते हैं कि पहली बात तो यह किसी कीमत पर हो नहीं सकता आैर राजनीतिक हस्ताक्षेप से हो भी गया तो यह विमान हादसों का अडडा होगा। असली बात यही है कि यह बन ही नहीं सकता क्योंकि यह इंटरनेशनल गाइड लाइन है अगर इसे तोडा गया तो वैश्विक स्तर चलने वाले विमान जयपुर से नहीं उडेेंगे। यह सिर्फ खेल है।
 
https://www.youtube.com/watch?v=JhOruafz4DQ
जयपुर के स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार अशोक शर्मा बताते हैं कि यह जयपुर विकास प्राधिकरण का यह पुराना खेला है पहले प्रोजेक्ट की घोषणा, फिर उसके आसपास की जमीन महंगी आैर उसकी बिक्री फिर मुनाफा आैर रिश्वत की वसूली आैर फिर बहाना की यह फिजीबल नहीं है आैर प्रोजेक्ट बंद कर दिया जाता है। इस प्रोजेक्ट में भी एेसा ही होना तय है। एेसे में लोगों को जमीन खरीददारी से बचना चाहिए। जेडीए इस खेल में इसलिए भी शामिल हो जाता है क्यों तमाम प्रकार के शुल्क वह वसूल करता है। बाकी सांठगांठ का खेल तो सब जानते ही हैं
राजनीति से जुडे एक व्यक्ति का कहना है की वसुंधरा का वसुंधरा से बडा प्रेम है। इनके आते ही एेसा खेल शुरू हो जाता है। पहली बार जब राजनीति में राजस्थान में जयपुर आर्इ तो यह जिसके मकान में ठहरी अब वह उनका ही हो गया। खैर वह व्यक्ति भी अब बडे बिल्डर में आता है।


इसलिए नहीं बन सकता नया हवार्इअडडा

३२ हजार फीट तक १०० किलोमीटर तक चढता आैर उतरता है
२० किलोमीटर रनवे क्षेत्र होता है बन ही नहीं सकता
१ ही होगा एटीसी तो फिर जरूरत क्या
१ दिन में करीब९ ०० विमान लैंड आैर टेकआॅफ कर सकता है जयपुर एयरपोर्ट फिर जरूरत नहीं
 २ टर्मिनल आैर बनाए जा सकते हैं
१ साल में अब तक २२ लाख यात्री अधिकतम

तो सलाह यह है कि एयरपोर्ट के नाम पर जमीन के खेल में अपने पैसे रूपी विमान की क्रास लैडिंग न करें






जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी फिर एक चप्पल चली। रोज ही कहीं ना कहीं यह पदत्राण थलचर हाथों में आ कर नभचर बन अपने गंत्वय की ओर जाने क...