Friday, August 18, 2017

एक कहानी सोनार की...

आनंद मणि समुद्री तट से
ये बात ​​​पिछले साल की ही तो है.हम 36 पत्रकार एक ऐसी यात्रा पर थे जहां हम दुबारा किसी भी सूरत में नहीं जाए सकते, एक माह के लिए एक साथ. सुबह सात बजे से ही प्रक्रिया शुरू हो गई .हम बस से यथास्थान पहुंच गए.आज के दिन हम ऐसी जगह थे.जहां हर किसी को प्रवेश नहीं मिलता,जगह का उल्लेख इसलिए नहीं क्योंकि यही करना जरूरी है. जल की जान बसती है
​​पोत का प्राण होता है 
सोने से महंगा सोनार 
पहली बार यहीं सुना हमनें 

यह वह सोनार है जिसने गाजी को चकमा देकर उसका तख्ता पलट दिया था और पाकिस्तान को अपने दूसरे युद्ध में मुंह की खानी पडी. हमने यहां देखा किस तरह से कागज पानी में डूब जाए तो भी वह गिला नहीं होता. पानी को उल्टा लटका दो फिर भी वह गिरता नहीं.पहली बार लोहार से खतरनाक सोनार देखा .सोनार इतना खतरनाक की वह अलग—अलग विमानों की ​फ्रिक्वेंसी छोड सकता है.

ऐसी कई नायाब चीजें हमने देखीं बेहद नजदीक से आप यूं भले ही लगता हो कि वैज्ञानिक कुछ नहीं कर रहे हैं लेकिन जितने सी​मित साधन में वह अपने लक्ष्य को साध रहे हैं शायद ही कोई देश होगा जो इतना बेहतर परिणाम इतने कम संसाधन में दे सके और अंत आप लोगों को लजीज व्यंजन का स्वाद याद ही होगा 
बाकी अगले अंक में 
राय देते रहिए कुछ याद दिलाते रहिए अगले तीस दिन तक हम आपको यूं ही दोबारा यात्रा कराने की को​शिश करेंगे




सरकार राज 


दादा भात और रॉयल राजेश 

कन्या ग्रुप 

खास लोगो के साथ आम 36 


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