Wednesday, June 10, 2009

चुनाव आयोग जो एक सम्बधानिक संस्था है उस पर भी रसा कस्सी शुरू हे हो गयी ..समाजवादी पार्टी के एक वरिस्ट नेता ने इसके स्म्बैधानिक पद को कम करने के मांग उठाई है क्यों की इनके सपनों को आग उसे ने लगाई है और समाजवादी पार्टी को सत्ता से दूर पहुची है ..नहीं तो मिश्रा जी का भे कुछ जुगाड़ लग जाता और अफसरों को चक्कर कटवाते
अफसर उनके चक्कर नहीं कट रहे यही दुःख उनको सता रहा है क्यों के अब वो प्यासे है और शासन कुआ है ..सपा के शासन काल में मशीनरी का दुरूपयोग किसी से छुपा नहीं है ...वही व्यवस्था का गम उन्हें सता रहा है ...लेकिन अब उन्हें अंदाजा नही है के हवा बंद हो गयी है ...रुख बदल गया है ..सीयर अपने अपने जंगलो को लौट गए है ये कह के हम 5 साल बाद फिर आएंगे तब तक आप चुनाव आयोग को अपने बस में करने के कोशिश करए ..हम आप के साथ है .....लेकिन एक बात तो ये तय हो हे गयी की हमारे संबिधान में दम तो है ..लेकिन इन रंगे सियारों के हाथ ओरिजनल कॉपी पड़ा है ..जिसे वो मन माफिक बदलने के कोशिश करते है ..कुछ तो प्रोग्राम तो इस लिए बचे है ..क्यों की इन्हे उसका पासवर्ड नहीं मालूम है ..नहीं तो ये उसे भी कीडे के तरह चाट जाये ..........अब देखते है के ये इस चुनाव आयोग रुपी प्रोग्राम को मिटाने के लिए कितने कीडे लगते है वैस तो कीडो के संख्या ज्यादा दिखाई दे रही है .......आगे आगे देखते है होता है क्या .................इंतजार करीए और ५ पाच साल बाद ...............कीडो को मारने का बंदोबस्त करीए वर्ना ये पूरा आयोग नहीं सम्विद्धन चाट जायेंगे .....अभे से कमर काश लीजये क्यों की अबकी बार चुके तो संबिधान गया ..........................

3 comments:

  1. हिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका हार्दिक स्वागत है......

    ReplyDelete
  2. खूब लिखें,सार्थक लिखें........ शुभकामनाऎं

    ReplyDelete

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी फिर एक चप्पल चली। रोज ही कहीं ना कहीं यह पदत्राण थलचर हाथों में आ कर नभचर बन अपने गंत्वय की ओर जाने क...