Wednesday, September 6, 2017

कहीं इन पांच लेखों ने तो नहीं लिखी लंकेश के हत्या की पटकथा

गौरी लंकेश साप्ताहिक पत्रिका 'लंकेश पत्रिके' की संपादक थीं. उनकी मैग्जीन के पिछले पांच संस्करणों पर गौर करें।

1. 5 सितंबर, 2017
'लंकेश पत्रिके' के सितंबर महीने के इस संस्करण में कवर पेज पर बीजेपी नेता और कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदुरप्पा की तस्वीर थी. इस संस्करण में येदुरप्पा को लेकर कवर स्टोरी की गई. स्टोरी में कहा गया कि येदुरप्पा पर भूमि अधिसूचना रद्द करने का खुलासा सिद्धरमैया ने नहीं बल्कि सदानंद गौड़ा ने किया.
बता दें कि येदियुरप्पा पर आरोप है कि उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान कथित रूप से शिवराम करांत लेआउट के निर्माण के लिए आवंटित जमीन को गैरअधिसूचित किया था.
2. 30 अगस्त, 2017
गौरी लंकेश की मैग्जीन के इस संस्करण में कवर पेज पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की तस्वीर के साथ स्टोरी की गई. अमित शाह के कर्नाटक दौरे पर स्टोरी में लिखा गया कि भगवा ब्रिगेड राज्य में आग लगाने के लिए आ चुकी है. ये भी कहा गया कि अमित शाह मीडिया का भगवाकरण करने के लिए कर्नाटक आए हैं. पेज नंबर 8 पर स्टोरी की हेडलाइन दी गई 'क्या अमित शाह सांप्रदायिक हिंसा भड़काने आए हैं?'
इसी संस्करण के संपादकीय में गौरी लंकेश ने गोरखपुर में बच्चों की मौत का मुद्दा उठाया. संपादकीय में उन्होंने बीआरडी कॉलेज के डॉक्टर कफील खान के खिलाफ साजिश का जिक्र किया.
3. 23 अगस्त, 2017
इस एडिशन की कवर स्टोरी में कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और छात्रा काव्या की आत्महत्या का जिक्र था. कवर स्टोरी में 'डीके जीते, शाह हारे, काव्या की आत्महत्या या मर्डर' पर स्टोरी की गई. स्टोरी में काव्या की मौत पर सवाल उठाए गए और कहा गया कि बैडमिंटन खिलाड़ी ने आत्महत्या की या ये हत्या है?
4. 16 अगस्त, 2017
इस संस्करण की कवर स्टोरी के साथ लिंगायत समुदाय की महिला गुरु माते महादेवी की तस्वीर लगाई गई है. स्टोरी में लिखा गया कि लिंगायतों का उदय येदुरप्पा के लिए डर बन गया है. माते महादेवी ने कहा कि येदुरप्पा लिंगायत नहीं हैं और भगवा असामाजिक तत्वों ने चित्रदुर्गा में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की.
5. 2 अगस्त, 2017
इस संस्करण की कवर स्टोरी पर कर्नाटक का झंडा बताते हुए एक तस्वीर लगाई गई. साथ ही लिखा गया कि अपनी जमीन, अपना झंडा. कवर स्टोरी में कर्नाटक के लिए अलग झंडे की मांग का समर्थन किया गया.
बता दें कि गौरी लंकेश वामपंथी विचारों की कट्टर समर्थक और दक्षिणपंथी विचारधारा का धुर विरोधी माना जाती रही हैं. ऐसे में उनकी हत्या पर सियासी आरोप-प्रत्यारोप भी जमकर हो रहे हैं. उनके राज्य कर्नाटक में अगले साल चुनाव होना है।

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