सत्ता परिवर्तन से पहले विदेश यात्रा
राष्ट्रपति भवन में पहले सुबह दस बजे का वक्त मुकर्रर किया गया फिर उसे बढ़ाकर साढ़े दस कर दिया गया. शपथ ग्रहण आधे घंटे में खत्म हुआ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो घंटे के अंदर चीन के लिए रवाना हो गए. ऐसा पहली बार होता तो इत्तेफाक माना जा सकता था. लेकिन मोदी सरकार ने करीब तीन साल में तीसरी बार मंत्रिमंडल विस्तार किया और तीनों बार नए मंत्रियों को शपथ दिलाने के बाद प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर निकल गए. इस बार तो उनके रवाना होने के बाद ही मंत्रियों के विभागों की सूची सार्वजनिक की गई. कुछ मंत्रियों को तो मीडिया से ही पता चला कि उनका विभाग बदल गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का पहला विस्तार 9 नवंबर 2014 को किया. उस बार 21 नए मंत्री बनाए गए. लेकिन दो दिन बाद ही प्रधानमंत्री दस दिन लंबी विदेश यात्रा पर निकल गए. वे अपनी इस यात्रा में म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और फीजी के राष्ट्राध्यक्षों से मिले.
संघ की अपनी एक परंपरा और कार्यपद्धति है. उसके ज्यादातर नेता फोन पर बात कर कुछ भी कहने-सुनने से बचा करते हैं. जो लोग संघ को जानते हैं वे मानते हैं कि वह अपने सारे संदेश आमने-सामने की चर्चा के जरिए ही पहुंचाता है. ज्यादातर वक्त संघ इस काम के लिए अपने किसी दूत का इस्तेमाल करता है और कभी-कभार उसके पदाधिकारी खुद भी बातचीत में शामिल होते हैं. ऐसे में जब मंत्रिमंडल विस्तार के बाद प्रधानमंत्री देश में नहीं होते हैं तो उनसे हर तरह के संवाद की गुंजाइश खत्म हो जाती है. जब तक प्रधानमंत्री विदेश यात्रा से लौटते हैं तब तक जिनका विभाग बदलता है वे मंत्री मन मसोसकर नए मंत्रालय का कार्यभार संभाल चुके होते हैं और नए मंत्री भी अपने नए दफ्तर में प्रवेश कर चुके होते हैं. बाकी काम संभालने के लिए अमित शाह हैं ही.
सुनी-सुनाई है कि भाजपा अध्यक्ष के दफ्तर से इस बार भी सभी मंत्रियों को कहलवाया गया कि हर बार की तरह इस बार भी पुराने मंत्री खुद नए मंत्री का स्वागत करेंगे और उन्हें मंत्रालय का प्रभार सौंपेंगे. मन में कितना भी दुख हो, कैमरे पर हर मंत्री एक दूसरे की तारीफ करता दिखा. इसीलिए कल तक नाराज़ बताई जा रहीं उमा भारती ने जब गंगा सफाई मंत्रालय का काम नितिन गडकरी को सौंपा तो वे कह रही थी तीन साल से वे कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद राज्यमंत्री की तरह काम कर रहीं थी क्योंकि मंत्रालय के असली कैबिनेट मंत्री तो शुरू से नितिन गडकरी ही थे. अब समझने वाले समझ ही गए होंगे उमा क्या कहना चाहती थीं?
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