आधुनिक राजनीति की बिसात में नए चाणक्य आए हैं. चाहे फिर वह लालू यादव का कैंपेन संभालने वाले संजय यादव की बात हो या फिर नीतीश के तरकश में तीर सजाने वाले प्रशांत किशोर. प्रशांत सागर की तरह शांत प्रशांत ने राजनीति की पक्ष आैर विपक्ष दोनों को जीतने आैर जिताने की क्षमता को परवान चढाया है एक तरफ जहां पहले बीजेपी के विजय रथ के चक्के को कश्मीर से कन्याकुमारी तक चला दिया, वहीं बिहारी में नीतिश के सारथी बनते ही चक्के का धुरा खोल भी दिया आम जनता तक राजनीतिक संघर्ष के साथ पीछे की राजनीति का खेल बखूबी समझने वाले चाणक्य बन रहे हैं ठीक उसी तरह जिस तरह से चाण्क्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को पहले राजा घोषित कर फिर राजगदृदी दिलार्इ थी...
आइए वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश्वर.के माध्यम से जानते हैं प्रशांत किशोर के बारें में...
लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की भव्य जीत के बाद पहली बार प्रशांत किशोर का नाम उछला पर बिहार में नीतीश कुमार की बड़ी जीत के बाद उनके बारे में लोग सब कुछ जानना चाहते हैं लेकिन पर्दे के पीछे काम करने वाले प्रशांत के बारे में गूगल को भी बहुत कुछ नहीं पता.
आइए वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश्वर.के माध्यम से जानते हैं प्रशांत किशोर के बारें में...
लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की भव्य जीत के बाद पहली बार प्रशांत किशोर का नाम उछला पर बिहार में नीतीश कुमार की बड़ी जीत के बाद उनके बारे में लोग सब कुछ जानना चाहते हैं लेकिन पर्दे के पीछे काम करने वाले प्रशांत के बारे में गूगल को भी बहुत कुछ नहीं पता.
तरकश से निकल रहे तीर अब दिल्ली जा रहे हैं. बिहार चुनाव के गेमचेंजर
माने जा रहे प्रशांत किशोर पिछले दो दिनों से दिल्ली में हलचल मचाए हुए
हैं. निश्चित तौर पर नई स्ट्रैटजी होगी. राहुल गांधी से मिल चुके हैं और
अरुण शौरी से भी भेंट कन्फर्म है लेकिन सबसे अधिक चर्चा लालकृष्ण आडवाणी से
मुलाकात को लेकर है. वैसे आडवाणी से मुलाकात की आधिकारिक पुष्टि अभी शेष
है.
राजनीति में क्यों मची है प्रशांत किशोर के नाम की हलचल
प्रशांत किशोर बिहार चुनाव के नतीजे के बाद सबसे अधिक चर्चा में हैं.
अपने बारे में प्रशांत कभी खुलकर नहीं बात करते. इतना सब जानते हैं कि 2014
के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के कैम्पेन स्ट्रैटजिस्ट प्रशांत थे.
बाद में अमित शाह से मतभेद के कारण अलग हुए. फिर नीतीश कुमार से जुड़े और
मुश्किल चुनाव में भारी जीत दिला दी.
अब हम प्रशांत किशोर के बारे में वह सब बताते हैं, जो सभी जानना चाहते
हैं, लेकिन अब तक पता नहीं था. प्रशांत बिहार के ही बक्सर के रहने वाले
हैं. बताने की जरुरत नहीं, पर बिहार की 'जात जिज्ञासा' को शांत करने को बता
दें कि वे ब्राह्मण हैं.
इनके पिता डॉ. श्रीकांत पाण्डे और माता श्रीमती इंदिरा पाण्डेय हैं.
पिता श्रीकांत पेशे से चिकित्सक हैं और सरकारी सेवा में रहे हैं. बक्सर में
मेडिकल सुपरिटेंडेंट भी थे. अब बक्सर के ही इंडस्ट्रियल थाना क्षेत्र के
निरंजनपुर में निजी प्रैक्टिस करते हैं. पहचान अच्छे डाक्ट र की है.
प्रशांत बक्सर आते-जाते रहते हैं.
प्रशांत किशोर कैसे बन गए नेताओं की पहली पसंद
प्रशांत के बड़े भाई अजय किशोर पटना में ही रहते हैं और उनका अपना
कारोबार है. प्रशांत की प्रारंभिक पढ़ाई बक्सर व धनबाद में हुई है.
इंटरमीडिएट पटना के साइंस कालेज से हुई. बाद में पढ़ने को हैदराबाद चले गए
और तकनीकी शिक्षा प्राप्त की. नौकरी में पहचान यूनिसेफ से मिली. दक्षिण
अफ्रीका में थे तब भी ब्रांडिंग का जिम्मा था.
गुजरात से संबंध वाइब्रैंट गुजरात के आयोजन को लेकर बना. सफल आयोजन के
सूत्रधार के रूप में नरेन्द्र मोदी ने पहचान की. साथ जुड़कर भारत के पोल
स्ट्रैटजिस्ट बन गये. पहले गुजरात में एक और जीत दिलाई. इसके बाद मोदी को
लेकर दिल्ली. के रायसीना हिल्स की ओर बढ़ गये. सफल परिणति 2014 का लोकसभा
चुनाव था. बाद में दिल्ली के पावर सेंटर के झगड़े ने प्रशांत को होम स्टेट
और नीतीश के पास पहुंचा दिया.
प्रशांत शादी-शुदा हैं. पत्नी और बच्चे दिल्ली में रहते हैं. बिहार
चुनाव के लंबे कैंपेन के दौरान परिवार को बिलकुल समय नहीं दे सके. अभी
मां-पिता दिल्ली में ही हैं और प्रशांत परिवार के साथ समय बिताने के अलावा
देश की राजनीति की आगे की स्ट्रैटजी तय करने में लगे हैं.
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