दाऊद की प्रोपर्टी नीलामी के पीछे की असली कहानी !!!
खबर आई है कि एक बार फिर अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम की संपत्ति की
नीलामी होने जा रही है। बीते 16 सालों में दाऊद की संपत्ति की ये चौथी बार नीलामी
हो रही है। मैं
इससे पहले दाऊद की संपत्तियों की 3 नीलामियां कवर कर चुका हूं और मेरा मानना है कि ऐसी नीलामी एक ड्रामे से ज्यादा कुछ नहीं
होती। साल 2000 में सबसे पहली बार नीलामी कोलाबा इलाके के इस होटल डिप्लोमैट में
हुई थी...लेकिन तब किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वो डॉन की संपत्ति पर बोली लगाये।
उसके अगले साल 28 मार्च 2001 को दूसरी बार फिरसे नीलामी की गई जिसमें दिल्ली के
शिवसैनिक अजय श्रीवास्तव ने नागपाडा इलाके की जयराजभाई लेन में 2 दुकाने खरीदीं।
उसी साल 20 सितंबर को फिरसे तीसरी नीलामी हुई। उस नीलामी में दिल्ली के ही एक
व्यापारी पीयूष जैन ने दाऊद की ताडदेव इलाके की एक संपत्ति खरीदी। इन दोनो ही
लोगों ने संपत्ति के पैसे तो चुका दिये लेकिन आज तक संपत्ति का कब्जा हासिल नहीं
कर सके हैं।
दिल्ली के शिवसैनिक अजय श्रीवास्तव पेशे से वकील हैं।1999 में
श्रीवास्तव पहली बार तब चर्चा में आये थे जब उन्होने पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच
खेले जाने के विरोध में फिरोजशाह कोटला मैदान की पिच खोद डाली थी। अजय श्रीवास्तव
ने संपत्ति तो खरीद ली, लेकिन उसके बाद उनका सामना हुआ दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना
पारकर से। हसीना पारकर ने संपत्ति का कब्जा देने से इंकार कर दिया। अजय श्रीवास्तव
ने कब्जा हासिल करने के लिये मुंबई के स्मॉल कॉसेस कोर्ट में अर्जी दायर की। 10
साल तक चले मुकदमें के बाद साल 2010 में फैसला उनके पक्ष में ही आया लेकिन इसके
बावजूद हसीना कब्जा छोडने को तैयार नहीं हुई।
भले ही कोर्ट की चारदीवारी में अजय श्रीवास्तव दाऊद के खिलाफ मुकदमा
जीत गये हों, लेकिन दाऊद गिरोह के लिये ये उसकी नाक का सवाल था।हसीना पारकर ने
स्मॉल कॉसेस कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील कर दी। हसीना पारकर की पिछले साल हार्ट
अटैक से मौत हो गई, लेकिन अब उसके बच्चे मुकदमा आगे चला रहे हैं। कुल मिलाकर बीते
15 सालों से अजय श्रीवास्तव कब्जा हासिल करने के लिये दिल्ली से मुंबई का चक्कर
काट रहे हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश से पुलिस ने छोटा शकील गिरोह के कुछ शूटरों को
गिरफ्तार किया जिनसे पूछताछ में पता चला कि उन्हें अजय श्रीवास्तव को अपना निशाना
बनाना था। अजय श्रीवास्तव का कसूर था कि उसने दाऊद की संपत्ति पर बोली लगाने की
हिम्मत की। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने अजय श्रीवास्तव को सुरक्षा मुहैया करा दी।
श्रीवास्तव का कहना है कि उन्होने अंडरवर्लड के खौफ के खिलाफ संदेश देने के लिये
दाऊद की संपत्ति खरीदी थी। उन्होने मुंबई पुलिस को भी पेशकश की वे उनकी खरीदी हुई
संपत्तियों का कब्जा ले ले और उस जगह अपनी चौकी बना दें, लेकिन मुंबई पुलिस ने
दिलचस्पी नहीं दिखाई।
वैसे श्रीवास्तव के कुछ पुराने साथी जो अब उनसे अलग हो चुके हैं दबी
जुबान से ये भी आरोप लगाते हैं कि उन्होने दाऊद की संपत्ति सिर्फ पब्लिसिटी की
खातिर खरीदी थी। श्रीवास्तव की असली मंशा थी कि ऐसा करके वे शिवसेना में अपना कद
बढा पायेंगे, लेकिन संपत्ति खरीदने के बाद जब वे मातोश्री बंगले पर बाल ठाकरे से
मिलने पहुंचे तो ठाकरे ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया।
दाऊद की संपत्ति को नीलामी में खरीदने वाले शख्स पीयूष जैन भी आज तक
उसका कब्जा हासिल नहीं कर सकें हैं। जोश में आकर पीयूष जैन ने संपत्ति खरीद तो ली
लेकिन उसके बाद डर के मारे उनकी हालत खराब हो गई। संपत्ति खरीदने के बाद पीयूष जैन
ने दिल्ली में रहना छोड दिया और अब एक दूसरे शहर में रहने के लिये चले गये हैं।
संपत्ति पर कब्जा हासिल करने किलेय पीयूष जैन ने कोई कोर्ट केस भी नहीं किया लेकिन
जब उनसे मैने पूछा किया संपत्ति हासिल करने के लिये आपने क्या किया तो उनका जवाब
था कि जब अटलबिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तो मैने उनको खत लिखकर गुहार लगाई थी
कि वे संपत्ति पर कब्जा हासिल करने में उनकी मदद करें।
अलग अलग केंद्रीय जांच एजेंसियों ने दाऊद इब्राहिम की करीब 12
संपत्तियों को जब्त कर रखा है और आज की तारीख में बाजार में उनकी कीमत 100 करोड के
करीब आंकी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक दाऊद के पास कई बेनामी संपत्तियां भी हैं
जिनकी कोई आधिकारिक जानकारी इन जांच एजंसियों के पास नहीं है। ऐसी संपत्तियों की
देखभाल का काम पहले दाऊद की बहन हसीना पारकर करती थी और अब उसका छोटा भाई इकबाल
कासकर करता है।
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