तुम्हे और क्या दे महंगाई के शिवाए
तुम्हे महंगाई का दंश लग जाए
टूटे कमर चाहे,भूखे किसान मर जाए
पर भत्ते में इनके कोई कमी न आए,
कंपनीयो देंगे ये सारी राहत,
आम लोग चाहे नंगे रह जाए
चंदा लेके मोटा इनसे
देंगे अर्थ जगत थामये
ऐसा कर के एक दिन फिर
हम देंगे गुलाम बनाये
अभी तो चंगुल में फंसा है
किसानो को
धीरे से लेंगे खेत कब्जाए
इससे भी न बात बनी तो
देंगे डेल्ही को उलटाये
अगला विश्व युद्ध होगा फसलों का
तब लेंगे ताकत अजमाए
ऐसा करके बठेंगे दिल्ली पैर
भारत के नेताओ की जय हो जय
.....जय हो ....जय हो
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