Friday, February 12, 2010

असली इब्नबत्तुता का जूता

इब्न  बत्तुता 


पहन  के  जूता 

निकल  पड़ा  तूफ़ान  में 

थोड़ी  हवा  नाक  में  घुस  गयी 

थोड़ी  घुस गयी  कान  में

कभी नाक  को 

कभी  कान  को

मलते  इब्न  बत्तुता 

इसी  बीच  में  निकल  पड़ा

उनके  पैरों  का  जूता

उड़ते  उड़ते  उनका  जूता

पहुँच  गया  जापान  में

इब्न  बत्तुता  खड़े  रह  गए 

मोची  की दुकान  में 
                       -सर्वेश्वेर दयाल सक्सेना


No comments:

Post a Comment

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी फिर एक चप्पल चली। रोज ही कहीं ना कहीं यह पदत्राण थलचर हाथों में आ कर नभचर बन अपने गंत्वय की ओर जाने क...