Saturday, March 19, 2016

महंगा पडेगा अर्थव्यवस्था के साथ यह खेल


जयपुर.देश को वैश्विक बाजार बनाने की कवायद देश पर ही भारी पडेगी. भाजपा के इस केंद्र सरकार ने पीपीपी माॅडल आैर एफडीआर्इ के बाद शुक्रवार को आम आदमी पर शुक्र गुजार होते हुए जिस तरह से बचत के ब्याज दारों में कमी की है. अर्थव्यवस्था के हिमायितयों को इसका परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए.किसानों की वैसे तो कोर्इ बचत होती नहीं लेकिन किसान विकास पत्र के ब्याज दर को जिस सफार्इ से घटाया गया. इससे किसानों की फिक्र का जिक्र करने वाले महा चौकीदार की बेफिक्री का अंदाजा साफत हो जाता है.

बचत ने बरकरार रखा था हमारी अर्थव्यवस्था का करार
आप को अगर २००८ याद आ रहा हो तो बता दें की दुनिया के विकास का पहिया जब थम रहा था अमेरिका से चीन तक बाजार चरमरा रहे थे यूरोपियन यूनियन कराहते हुए टूट रहा था तब राष्र्टीय बजत योजना, किसान विकास पत्र, सहित इसी तरह की योजनाआें ने देश का विकास का पहिया थमने नहीं दिया.बाअदब उसी गति मुलायजा फरमाता रहा लेकिन इस समय जिस तरह से वैश्विक बाजार की शान कसीदे गढे जा रहे हैं यह बाजार को बर्बाद कर देगा आैर किसान को कंगाल कर देगा
अब देर में दुगुना होगा पैसा
यह मध्यम वर्ग के सपनोंं पर कुठाराघात है उनका पैसा अब दुगुना होने में अब आैर वक्त लगेगा अब सपने आैर भी देरी से पूरे होंगे क्या पता तब वह हो न हो या फिर बाजार ही न हो. २००८ की अर्थव्यवस्था से एक बडा संकेत मिला था की किन्स का नियम भी टूट जाएगा क्याें कि सरकार के पास खर्च करने के लिए होगा नहीं तो वह खर्च करके कहां से गडढे भरवाएगी आैर जिसके पास होगा वह अर्थव्यवस्था के मोटे होने का इंतजार करेगा.कुल मिलाकर आम आदमी बर्बाद होगा
बाकी वलीमा खाने के लिए निमंत्रण सबको है
ये असली मेक इन इंडिया है
अंत में राजनीति
देखते रहे इसमें बन कौन रहा है आैर बना कौन रहा है .बनाने का मतलब यहां दो हैं एक तो है निर्माण से है आैर दूसरा बनाना आप जानते हैं जो हर पांच साल बाद नेता बनाने आ जाते हैं.
ठीक अमित शाह की तरह की वह तो जुमला था...१५ लाख खातें में आएंगे वो तो आपके के खाते में तो आए नहीं लेकिन आपकी खता यह है कि आप ने इन्हें बना दिया तो आप के खातों पर इनकी नजर पड गर्इ है...देखिए आगे आगे होता है क्या



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