बीज से बोया जा रहा है गुलामी का तंत्र
मोनसेंटो देखने में छोटा नाम लेकिन यह कंपनी बहुत बडी गुलामी की बेडी लेकर तैयार है अगर आप सब होशियार नहीं हुए तो एेसे लुटेंगे की अपना माथा पिटने का समय भी नहीं मिलेगा.जर्मनी के सेंटर में सभी बीज भले ही सुरक्षित रख लिए गए हैं लेकिन यह कंपनी दुनिया के नक्से से मौलिक बीज खत्म करके जीएम फसल का बीज उतारने के लिए बेेकरार है इस बीज से सिर्फ एक बार फसल ली जा सकती है.नर्इ फसल के लिए नया बीज आैर यह यहीं कंपनी देगी. यानी वैश्विक खेती पर पूरा नियंत्रण.अगर एेसा हुआ तो फिर आप पीएम की मन की बात सुनते रहिएगा या फिर लच्छेदार मुहावरे से पेट भरएिगा नहीं तो आत्महत्या का आैजार आपके पास रियासतकाल से है.तरीका अलग अंग्रेजीयत भरा हो सकता है. बाकी सब जलकुंभी है जिसमें सरकार जी रही है कुंभकरण की तरह.
कृषि विशेषज्ञ आरएस पुरोधा की माने तो यह कुठाराघात होगा आैर इससे कृषि लागत आैर बढ जाएगी.अमेरिका की तरह यहां जोत बडी नहीं बहुत छोटी है.
अंग्रेजी से जबान गुलाम आैर डालर से अर्थव्यवस्था
बहुत ज्यादा विषय परांगत तो नहीं लेकिन अंग्रेजीयत में जीने की लत हमें भारी पडने वाली है.अंग्रेजो ने पूरे विश्व को अंग्रेजी पढार्इ आैर इस समय आप जबान के गुलाम हैं. अंग्रेजों ने डाॅलर में चुकाया आैर डाॅलर में न्यौछावर बांटी आैर वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था का मसीहा बना बैठा है.
अब बीज से पेट गुलाम करने की तैयारी
इसी तरह पहले हमारे देश में हमारे गांव काे ताेडा गया आैर हम सब्जी बाजार से लाने लगे दूध बंटने की बजाय बिकने लगा फिर घर तोडा हम चमकती चांदनी की चाह में मुंबर्इ के गंदे नाले के किनारे घर बनाते बनाते विश्व की सबसे बडी कच्ची बस्ती धारावी बना बैठे.हमारे दूध की बढोतरी की चाह में विदेशी गाय लेकर आए आैर अब हमें अपनी गायों का सबसे बेहतरीन पौष्टिक दूध गायब हो गया इतना ही नहीं अब तो देसी नस्ल की गाय सिर्फ लैब तक हैं.
मोनसेंटो देखने में छोटा नाम लेकिन यह कंपनी बहुत बडी गुलामी की बेडी लेकर तैयार है अगर आप सब होशियार नहीं हुए तो एेसे लुटेंगे की अपना माथा पिटने का समय भी नहीं मिलेगा.जर्मनी के सेंटर में सभी बीज भले ही सुरक्षित रख लिए गए हैं लेकिन यह कंपनी दुनिया के नक्से से मौलिक बीज खत्म करके जीएम फसल का बीज उतारने के लिए बेेकरार है इस बीज से सिर्फ एक बार फसल ली जा सकती है.नर्इ फसल के लिए नया बीज आैर यह यहीं कंपनी देगी. यानी वैश्विक खेती पर पूरा नियंत्रण.अगर एेसा हुआ तो फिर आप पीएम की मन की बात सुनते रहिएगा या फिर लच्छेदार मुहावरे से पेट भरएिगा नहीं तो आत्महत्या का आैजार आपके पास रियासतकाल से है.तरीका अलग अंग्रेजीयत भरा हो सकता है. बाकी सब जलकुंभी है जिसमें सरकार जी रही है कुंभकरण की तरह.
कृषि विशेषज्ञ आरएस पुरोधा की माने तो यह कुठाराघात होगा आैर इससे कृषि लागत आैर बढ जाएगी.अमेरिका की तरह यहां जोत बडी नहीं बहुत छोटी है.
अंग्रेजी से जबान गुलाम आैर डालर से अर्थव्यवस्था
बहुत ज्यादा विषय परांगत तो नहीं लेकिन अंग्रेजीयत में जीने की लत हमें भारी पडने वाली है.अंग्रेजो ने पूरे विश्व को अंग्रेजी पढार्इ आैर इस समय आप जबान के गुलाम हैं. अंग्रेजों ने डाॅलर में चुकाया आैर डाॅलर में न्यौछावर बांटी आैर वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था का मसीहा बना बैठा है.
अब बीज से पेट गुलाम करने की तैयारी
इसी तरह पहले हमारे देश में हमारे गांव काे ताेडा गया आैर हम सब्जी बाजार से लाने लगे दूध बंटने की बजाय बिकने लगा फिर घर तोडा हम चमकती चांदनी की चाह में मुंबर्इ के गंदे नाले के किनारे घर बनाते बनाते विश्व की सबसे बडी कच्ची बस्ती धारावी बना बैठे.हमारे दूध की बढोतरी की चाह में विदेशी गाय लेकर आए आैर अब हमें अपनी गायों का सबसे बेहतरीन पौष्टिक दूध गायब हो गया इतना ही नहीं अब तो देसी नस्ल की गाय सिर्फ लैब तक हैं.
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