मेरी आँखों से तेरी आँखों तक
प्यार की जब हो गुपचुप बात
होंठ सिले हों, आँखें नम हो
मौसम बजा रहा हो साज
दूर कही शहनाई बजे और
बागों में खिल उठे गुलाब
स्पर्श तुम्हारा बजे तरंग बन
दूर कहीं जलती हो आग,
एक दूजे को जाने हम जब
मूक हमारे हो संवाद
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sundar abhivyakti ,badhai
ReplyDeletebahut hee sunadar prstuti
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