Sunday, September 19, 2010

है याद तुम्हारा कानों में, हौले से कुछ कह जाना / श्रद्धा जैन

है याद तुम्हारा कानों में, हौले से कुछ कह जाना
वादों से कैसे सीखे, इस भोले दिल को बहलाना

बहुत दिनों के बाद, सपने में तुम्हें फिर पाया है
तकिये को हमने आज फिर, सीने से अपने लगाया है
बहुत प्यारी सी बातें है, बहुत मीठी सी यादें है
तुम इस भोली नाज़ुक लड़की को, सपने से नहीं जगाना

है याद तुम्हारा कानों में, हौले से कुछ कह जाना
वादों से कैसे सीखे, इस भोले दिल को बहलाना

जागी-जागी रतियाँ गुज़री, तारों से बातें करते
 थोड़ा सा उम्मीद में जीते, थोड़ा थोड़ा हम मरते
न आते हो मिलने तुम, न कोई खबरिया आती है
ख्वाबों में मिलकर तुमसे, है सीख लिया तुमको पाना

है याद तुम्हारा हौले से, कानों में कुछ कह जाना

No comments:

Post a Comment

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी फिर एक चप्पल चली। रोज ही कहीं ना कहीं यह पदत्राण थलचर हाथों में आ कर नभचर बन अपने गंत्वय की ओर जाने क...