मेरे लिए रात ने
आज फ़राहम किया
एक नया मर्हला ।
नींदों ने ख़ाली किया
अश्कों से फ़िर भर दिया
कासा: मेरी आँख का
और कहा कान में
मैंने हर एक जुर्म से
तुमको बरी कर दिया
मैंने सदा के लिए
तुमको रिहा कर दिया
जाओ जिधर चाहो तुम
जागो कि सो जाओ तुम
ख़्वाब का दर बंद है
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मैंने हर एक जुर्म से
ReplyDeleteतुमको बरी कर दिया
मैंने सदा के लिए
तुमको रिहा कर दिया
बहुत सुंदर पंक्तियां लिखी हैं, भावपूर्ण अभिव्यक्ति..बधाई
http://veenakesur.blogspot.com/