Friday, April 2, 2010

गंगा के दो दो रूप सभी के सहारे यात्रा लेकिन तरीका अलग अलग

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जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी फिर एक चप्पल चली। रोज ही कहीं ना कहीं यह पदत्राण थलचर हाथों में आ कर नभचर बन अपने गंत्वय की ओर जाने क...