Tuesday, March 9, 2010

तन्हा तन्हा हम रो लेंगे महफ़िल महफ़िल गायेंगे / निदा फ़ाज़ली

तन्हा तन्हा हम रो लेंगे महफ़िल महफ़िल गायेंगे


जब तक आँसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनायेंगे

तुम जो सोचो वो तुम जानो हम तो अपनी कहते हैं

देर न करना घर जाने में वरना घर खो जायेंगे

बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो

चार किताबें पढ़ कर वो भी हम जैसे हो जायेंगे

किन राहों से दूर है मंज़िल कौन सा रस्ता आसाँ है

हम जब थक कर रुक जायेंगे औरों को समझायेंगे

अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर-दिल हो मुमकिन है

हम तो उस दिन रो देंगे जिस दिन धोखा खायेंगे

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