Tuesday, March 9, 2010

सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़यालों में / बशीर बद्र

सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़यालों में


बस ज़रा वफ़ा कम है तेरे शहर वालों में

पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा

हम जवाब क्या देते खो गये सवालों में

रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा

जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में

मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगे

रात के मुसाफ़िर थे खो गये उजालों में

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