Saturday, March 20, 2010
शिक्षा के लिए जिस्म का सौदा – यही भारत का भविष्य है!
यह रिपोर्ट बीबीसी की है। इसमें ब्रिटेन की त्रासद स्थिति का ब्योरा है। बताया गया है कि कैसे यूनिवर्सिटी की भारी फीस चुकाने के लिए लड़के-लड़कियां देह व्यापार के दलदल में फंसते जा रहे हैं। ऐसे छात्रों की संख्या तीन से बढ़ कर 25 फीसदी हो गई है। यह भारत के लिए भी ख़तरनाक संकेत है। इसलिए कि हम हर लिहाज से अमेरिका और ब्रिटेन के पीछे भाग रहे हैं।
हमारे शिक्षा मंत्री कपिल सिब्बल संसद में बयान देते हैं कि एक भी नया केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं। और विदेशी यूनिवर्सिटी के लिए दरवाजे खोल रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उनका रिफॉर्म इस गरीब देश में रोजी-रोटी के लिए तरसते लोगों को मर्सडीज बेंज मुहैया कराने जैसा है।
हमारे हुक्मरान पहचान पत्र मुहैया कराने के नाम पर खरबों रुपये खर्च कर देते हैं। तानाशाह मुख्यमंत्रियों के जश्न पर अरबों रुपये बहा दिये जाते हैं। लेकिन शिक्षा के नाम पर बजट का छह फीसदी हिस्सा देने में उनकी जान जाने लगती है। आज यूनिवर्सिटीज से कहा जा रहा है कि वो अपना खर्चा खुद जुटाएं। यही वजह है कि यहां भी पढ़ाई दिन ब दिन महंगी होती जा रही है।
एक दशक पहले जहां एक-डेढ़ हज़ार रुपये में छात्र दिल्ली जैसे शहर में रह और पढ़ लेते थे आज उसके लिए पांच हज़ार रुपये भी कम पड़ते हैं। कॉलेजों की सालाना फीस भी दो-तीन गुना बढ़ गई है। बीस-पच्चीस रुपये वाली किताबें 250-300 रुपये में मिलती हैं। कुछ किताबें तो 500 रुपये से ऊपर हैं। बमुश्किल दो-तीन फीसदी छात्रों के लिए हॉस्टल हैं। और जिन छात्रों को बाहर रहना होता है उनका संघर्ष कई गुना बढ़ जाता है।
-बीबीसी से साभार यह रिपोर्ट
इस उम्मीद में कि आप भी इसे पढ़ें और जेहन पर जोर डालें कि आखिर हम किस तरफ बढ़ रहे हैं। कहीं हम अपनी युवा पीढ़ी को अंधकार भरे रास्तों पर तो नहीं ढकेल रहे।
एक सर्वेक्षण के मुताबिक ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले कई विद्यार्थी अपनी पढ़ाई का खर्च जुटाने लिए देह व्यापार करते हैं. इस तरह से पैसे कमाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. सर्वेक्षण के मुताबिक पिछले दस वर्षों में विद्यार्थियों में देह व्यापार तीन फ़ीसदी से बढ़कर 25 फ़ीसदी तक पहुंच गया है.
ये सर्वेक्षण किंग्स्टन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रॉन रॉबर्ट्स ने सेक्स उद्योग से विद्यार्थियों के संबंध को जानने के लिए किया है. इस सर्वेक्षण में ये पाया गया कि क़रीब 11 फ़ीसदी विद्यार्थी एस्कोर्ट का काम करने के विकल्प को मान लेते हैं या विचार करते हैं. हाई प्रोफाइल सेक्सकर्मी को एस्कोर्ट कहा जाता है.
प्रोफेसर रॉन रॉबर्ट्स कहते हैं कि कॉलेज में ट्यूशन फीस ज़्यादा होने के वजह से विद्यार्थियों को ‘इंटरनेट पर अश्लील फ़िल्म’, ‘अश्लील बातें’ और ‘लैप डांस’ जैसा काम करना पड़ता है.
हलांकि ये सर्वेक्षण ब्रिटेन के एक ही विश्वविद्यालय में किया गया है. उनका कहना है कि ये सर्वेक्षण पूरे देश के लिए सूचक मात्र है, खास कर शहरी क्षेत्रों के लिए. इसके लिए उन्होंने विद्यार्थियों पर कर्ज़ का बोझ और लैप डांसिंग क्लबों में हो रही बढ़ोत्तरी को ज़िम्मेदार बताया है.
प्रोफेसर रॉन रॉबर्ट्स कहते हैं, “सेक्स से जुड़ी बातें हर जगह है. अब देह व्यापार के प्रति मध्यमवर्गीय लोग उदार हो रहे हैं और इसे करियर बनाने के लिए एक अच्छा रास्ता मानते हैं. आचरण संबंधित सारी बातें अब बिल्कुल बदल गई है.”
क्लोए नाम की एक छात्रा बताती कि उन्होंने लैप डांसिंग इसलिए शुरू की क्योंकि उनके पास यह एक मात्र ज़रिया था जिससे वो पढ़ाई पर हो रहे खर्च का वहन कर सके. उनका कहना है, “पढ़ाई के दौरान विश्वविद्यालय में मुझे जो काम मिलता है, वह वास्तव में कठिन होता है और उसे समयसीमा में करके देना होता है, लेकिन दूसरी तरफ अगर मैं लैप डांस नहीं करुं तो मैं विश्वविद्यालय के खर्च को नहीं उठा पाऊंगीं.”
एक लैप डांसिंग क्लब की मालकिन कैरी हले कहती कि ‘बार’ और ‘रेस्टोरेन्ट’ में काम करने पर विद्यार्थियों को बहुत कम पैसा मिलता है और दिन में काम करना होता है. जबकि लैप डांसिग में ऐसा नहीं है इसलिए ये विद्यार्थियों के लिए अनुकूल है.
प्रोफेसर रॉन रॉबर्ट्स कहते हैं कि इस सर्वेक्षण को लेकर कई विश्वविद्यालयों ने विद्यार्थियों काफ़ी हतोत्साहित किया. विद्यार्थियों का देह व्यापार में होना चिंता का विषय है.
वो कहते है कि इसी विषय पर इससे पहले किए गए सर्वेक्षण पर एक क्लब के मालिक बुरी तरह से भड़क गए. उनका कहना था कि पिछले सर्वेक्षण की “भारतीय मीडिया में काफ़ी चर्चा हुई थी, जोकि यहां के विश्वविद्यालयों के लिए बहुत बड़ा बाज़ार है.”
उनका कहना है, “विश्वविद्यालयों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और विद्यार्थियों की बातों को सुनना चाहिए. मेरे ख़्याल से यहां विद्यार्थियों की स्थिति काफ़ी खराब है और इन्हें पर्याप्त मदद नहीं मिलती है.”
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शिक्षा व्यावस्था पर बेह्तरीन लेख्
ReplyDeleteword verification hata de to behter
ReplyDeleteBBC KI REPORT SIRF INGLAND KE LIYE NAHI BALKI YAH TO INDIA AUR KHAS KAR HAR MAHANAGAR KE BARE MAIN SAHI BAITHTI HAI JAHAN WYAWSTHA PAR POORI TARAH SEX KA DUROOPYOG KA WYAPAR KARNE WALE BHARUON KA KABJA HAI,INKE AAGE HAMARE DESH KI SARKAR GHUTNE TEK CHUKI HAI.AAB TO ISHE TABHI ROKA JA SAKTA HAI JAB DESH KA HAR NAGRIK ISKE KHILAPH SAR PAR KAFAN BANDHKAR LARNE KO EKJUT HO.KYA AAP TAIYAR HAI?
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