Tuesday, March 9, 2010

बेवफ़ा रास्ते बदलते हैं

बेवफ़ा रास्ते बदलते हैं

हमसफ़र साथ-साथ चलते हैं
किसके आँसू छिपे हैं फूलों में
चूमता हूँ तो होंठ जलते हैं
उसकी आँखों को गौर से देखो
मंदिरों में चराग़ जलते हैं
दिल में रहकर नज़र नहीं आते
ऐसे काँटें कहाँ निकलते हैं
एक दीवार वो भी शीशे की
दो बदन पास-पास जलते हैं
काँच के मोतियों के आँसू के
सब खिलौने ग़ज़ल में ढलते हैं

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