Monday, March 8, 2010

मेरे पहले प्यार / कुमार विश्वास

ओ प्रीत भरे संगीत भरे!




ओ मेरे पहले प्यार !



मुझे तू याद न आया कर



ओ शक्ति भरे अनुरक्ति भरे!



नस नस के पहले ज्वार!



मुझे तू याद न आया कर।









पावस की प्रथम फुहारों से



जिसने मुझको कुछ बोल दिये



मेरे आँसु मुस्कानो की



कीमत पर जिसने तोल दिये



जिसने अहसास दिया मुझको



मै अम्बर तक उठ सकता हूं



जिसने खुदको बाँधा लेकिन



मेरे सब बंधन खोल दिये





ओ अनजाने आकर्षण से!



ओ पावन मधुर समर्पण से!



मेरे गीतों के सार



मुझे तू याद न आया कर।









मूझे पता चला मधुरे तू भी पागल बन रोती है,



जो पीङा मेरे अंतर में तेरे दिल में भी होती है



लेकिन इन बातों से किंचिंत भी अपना धैर्य नही खोना



मेरे मन की सीपी में अब तक तेरे मन का मोती है,









ओ सहज सरल पलकों वाले!



ओ कुंचित घन अलकों वाले!



हँसते गाते स्वीकार



मुझे तू याद न आया कर।



ओ मेरे पहले प्यार



मुझे तू याद न आया कर

No comments:

Post a Comment

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी

जब विद्यासागर जी ने चप्पल फेंकी फिर एक चप्पल चली। रोज ही कहीं ना कहीं यह पदत्राण थलचर हाथों में आ कर नभचर बन अपने गंत्वय की ओर जाने क...